बंद हो सकती है सदा-ए-सरहद


भारत और पाकिस्‍तान के बीच जब-जब रिश्‍ते तल्‍ख हुए हैं , तब-तब इसका सीधा असर दोनों देशों के बीच होने वाले व्‍यापार और चलने वाली रेल और बस सेवाओं पर भी पड़ा है। पाक परस्‍त आतंकियों की वजह से न केवल कश्‍मीर बल्कि जम्‍मू कश्‍मीर नियंत्रण रेखा सहित पंजाब और राजस्‍थान की सीमाओं पर सैनिक हलचल बढ़ जाती है, जैसा कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्‍तान पर की गई एयर स्‍ट्राइक के बाद इस समय हालत बने हुए हैं। इस बीच पीछले कुछ समय से बंद समझौता एक्‍सप्रेस तीन मार्च से दोबारा पटरी लौट आई है वहीं दिल्‍ली से लाहौर के बीच सप्‍ताह में छह दिन चलने वाली सदा-ए-सरहद बंद होने की कगार पर है। हलांकि इसके पीछे लाहौर से भारत आने वाले यात्रियों की कमी तो है ही, लेकिन सबसे बड़ा कारण पाक परस्‍त आतंक बताया जा रहा है जिसकी वहज से दोनों देशों के बीच जभी तभी तनाव का वातावरण बन जाता है।
    1947 में देश विभाजन के पाकिस्‍तान से हर तरह के संबंधों पर पाबंदी लगा दी गई थी। इसके साथ ही दोंनों देशों के बीच रेल और सड़क यातायात हमेशा के लिए बंद हो गया था।  1971 की जंग के बाद दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को मधुर बनाने, व्‍यापार, पर्यटन और बिभाजन के वक्‍त बिछड़े रिश्‍तेदारों को मिलाने के लिए 22 जुलाई 1976 को शिमला समौते के के तहत दिल्‍ली-लाहौर के बीच रेल सेवा शुरू की गई। और इस ट्रेन को समझौता एक्‍सप्रेस का नाम दिया गया। इस ट्रेन को शताब्‍दी और राजधानी ट्रेनों से ऊपर का दर्जा दिया गया है, ताकि यह लेट न हो जाय। हलांकि एमझौता एक्‍सप्रेस के अलावा राजस्‍थान के मुनावार से पाकिस्‍तान के खोरापार तक एक रेलगाड़ी और चलाई जाती है जिसे थार एक्‍सप्रेस के नाम से जाना जाता है। 1965 में हुए जंग के बाद से बंद पडी इस ट्रेन को 2006 में दोबारा शुरू किया था। 
इस तरह शुरू हुई थी सदा-ए-सरहद
  दोनों देशों के बीच निरंतर होते कटु रिश्‍तों को मधुर बनाने के लिए 1999 में तत्‍कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने दिल्‍ली से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की। इसे बस सेवा को सदा-ए-सरहद नाम दिया गया। यह अंतरराष्‍ट्रीय बस सर्विस सप्‍ताह में छह दिन चलती है। 8 और 14 जनवरी को दोनों देशों ने अपना-अपना ट्रायल किया था।  बस के उद् घाटन में तत्‍कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा विदेश मंत्री यशवतं सिंह, शत्रुघ्‍न सिन्‍हा, देवानंद, सतीश गुजराल, जावेद अख्‍तर, कुलदीप नैयर, मल्‍लिका साराभाई आदि सदा-ए-सरहद बस से लाहौर पहंचे थे। जहां इन यात्रियों का पाकिस्‍तान के उस समय के प्रधानमंत्री मिया नवाज शरीफ ने गर्मजोशी के साथ स्‍वागत किया था। और इसी समय 1999 में लाहौर घोषणा पत्र की घोषणा की गई। 
2001 में बंद कर दी गई थी बस
1999 में हुए लाहौर घोषणा पत्र के कुछ माह बाद ही कारगिल जंग के दौरान भी बिना रुके चलने वाली सदा-ए-सरहद को 2001 में हुए संसद भवन पर हुए आतंकी हमले के बाद निलंबित कर दिया गया।  दोंने देशों के बीच रिश्‍तों में आए कसैलापन दूर होने के बाद 16 जुलाई 2003 को इस बस सेवा को दोबारा शुरू कर दिया गया। यहां तक कि पठानकोट, उरी हमले  और पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा 2017 में किए गए सर्जिकल स्‍ट्राइक और फरवरी 2019 में किए एयर स्‍ट्राइक के बाद भी सदा-ए-सरहद में दोनों देशों के मुसाफिरों का आनाजाना लगा रहा। यहां तककि एक मार्च को भारतीय विंग कमंडर अभिनंदर वर्तमान के अटारी बार्डर के रास्‍ते वतन वापसी के दौरान भी सुरक्षा कारणों से देानों देशों की ये बसें अटारी बार्डर पर खड़ी रहीं, लेकिन इनकी सर्विस बंद नहीं हुई। यह बात अलग है कि जब-जब भारत-पाकिस्‍तान के संबंधों में कडवाहट आई है तब तब शिवसेना सहित विभन्‍न संगठनों के निशाने पर जरूर रही है जिसे पंजाब में कई बार रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन हर बार इस बस के साथ चल रही पुलिस की पॉयलट विंग ने ऐसा नहीं होने दिया।
कब और कहां से चलती है सदा-ए-सरहद

सदा-ए-सरहद दिल्‍ली और लाहौर के बीच चलने वाली यह बस संयुक्‍त रूप से दिल्‍ली परिवहन निगम और पाकिस्‍तान परिवहन विकास निगम द्वारा संचालित की जाती है। यह दोनों देशों के बीच चलने वाली एक मात्र बस है जो अंतरराष्‍ट्रीय सड़क मार्ग अटारी बार्डर से हो कर जाती है। हलांकि कश्‍मीर से पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर के मुजफ्फराबाद तक भी बस चलाई जाती है। दिल्‍ली-लाहौर बस सेवा दिल्‍ली में दिल्‍ली गेट के पास अंबेडकर स्‍टेडियम बस टर्मिनल से संचालित होती है। जबकि 2014 में वाघा बार्डर पर हुए आतंकी हमले के बाद यह बस लाहौर शहर की बजाय बाघा तक ही जाती है। 


किस दिन चलती है बस
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दिल्‍ली से लाहौर जाने के लिए यह बस दिल्‍ली टर्मिनल से सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को सुबह 6 बजे चलती है जो उसी दिन शाम को 6 बजे करीब 530 किलोमीटर की दूरी तय कर पाकिस्‍तान स्थित लाहौर पहुंचती है। इसी तरह सदा-ए-सरहद बस लाहौर के बाघा से मंगलवार, वीरवार और शनिवार को सुबह 6 बजे चलती है जो अटारी बार्डर पर जाचं सहित अन्‍य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शाम 6 बजे दिल्‍ली पहुंचती है। 
नाम मात्र के आ रहे हैं यात्री, बंद होने की कगार पर बस


विभागीय सूत्रोंं के हवाले से मिली रिपोर्ट के मुताबिक दिल्‍ली से लाहौर जाने के लिए सदा-ए-सरहद अंतरराष्‍ट्रीय बस को यात्री तो मिल जा रहे हैं, लेकिन लाहौर से दिल्‍ली आने के मुसाफिरों की संख्‍या कम होती है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पाक परस्‍त आतंक का साया इस बस के यात्रियों पर भी पड़ा है। उनका कहना है कि इस बस में अधिकांस ऐसे यात्री आते हैं जो हवाईजहाज का किरया नहीं खर्च सकते और उन्‍हें भारत में अपना इलाज करवाना होता है। इन यात्रियों में लीवर, कैंस सहित अन्‍य जटिल रोगों से ग्रसित पाकिस्‍तानी मरीज होते हैं जिनका कम खर्च अच्‍छा इलाज दिल्‍ली में हो जाता है। और वह पूर्णत: स्‍वस्‍थ्‍य हो कर खुशी खुशी अपने वतन जाते हैं। लेकिन पिछले दिनों हुए आतंकी हमले या इससे पहले हुए हमलों के बाद उपजे तनाव के बीच यात्रियों की संख्‍या निरंतर कम होती जा रही है। स्थिति यह है कि  यात्रियों की संख्या  करीब 80 फीसद कम हो गई है । इस कारण दिल्‍ली परिवन निगम को यह बस चलाने में लगातार घाटा हो रहा है। इस संबंध में सरकार को अवगत करवा दिया गया है। इस बस को चलाना है या नहीं यह फैसला भारत सरकार को लेना है। 

रुकती और चलती रही समझौता एक्‍सप्रेस 

शिमला समौते के बाद शुरू हुई समझौता एक्‍स प्रेस को भारत -पाकिस्‍तान के बनते बिगड़ते रिश्‍तों के बीच कई बार ब्रेक लग चुकी है। हलांकि समौते के मुताबिक कुछ साल बाद दोनों देशों के बीच समीक्षा बैठक की जाती है और इस ट्रेन की अवधि कुछ साल के बढ़ा दी जाती है। इसके इतर 1976 में हुए समझौते के बाद से इस ट्रेन को 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान भी भी बंद कर दिया गया था। इसके बाद 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद भी बदं कर दिया गया था, जिसे तीन साल करीब 2004 में फिर से शुरू कर दिया गया। 18 फरवरी 2007 में दिल्‍ली से लाहौर जा रही समझौता एक्‍सप्रेस में पानीपत के दिवाना रेलवे स्‍टेशन के पास रात को हुए बम धमाके में 68 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 12 लोग जख्‍मी हुए थे। मरने वालों में 16 बच्‍चे और चार रेल कर्मी भी शामिल थे। इस घटना के बाद भी समझौता एक्‍सप्रेस बंद कर दी गई थी, जिसे कुछ साल बाद फिर से शुरू कर दिया था। ठानकोट हमले के बाद इसे  बंद करने मांग उठने लगी थी। यह मांग उरी हमले के बाद 2017 में हुए सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद उठी थी और अब पुलवामा हमले के बाद हुए एयर स्‍ट्राइक के बाद सहमे पाकिस्‍तान सरकार ने समझौता एक्‍सप्रेस को 28 फरवरी को रद कर दिया था। पाकिस्‍तान सरकार के अचान लिए इस फैसले बाद दिल्‍ली से लाहौर जाने वाले यात्री अटारी रेलवे स्‍टेशन पर फंस गए थे, जिन्‍हें भारत सरकार ने अटारी बार्डर के रास्‍ते बस से लाहौर जाने की व्‍यवस्‍था की थी। हलांकि इस फैसले के चार दिन बाद पाकिस्‍तान सरकार ने तीन मार्च को समझौता एक्‍सप्रेस को बहाल कर दिया और पहले दिन 16 यात्री पाकिस्‍तान से भारत आए।