हर बार उजड़ते हैं, लेकिन इस बार नहीं

दुर्गेश 
पाकिस्‍तान में घुस कर भारतीय वायुसेना की आेर से आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद पाकिस्‍तान से लगती पंजाब की करीब 550 किमी लंबी सीमा रेखा पर सैन्‍य कर्मियों की हलचल तेज हो गई है। यही नहीं पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्‍का जिलों के सीमावर्ती गांवों के लोगों को चौकस रहने व किसी भी समय गांव खाली कर सुरक्षित ठिकानों की तरफ जाने के लिए तैयार रहने को कह दिया गया है। यहां तक कि इन सभी सीमावर्ती जिलों के अस्‍पतालों में आपात काल स्थिति में बेड रिजर्व रखने के लिए कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ सीमावर्ती गांवों के लोगों का कहना है कि वे हर बार जंग के हालात बनने पर गांव खाली करते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। हम सेना के साथ हैं और पाकिस्‍तान के खिलाफ अंतिम सांस तक लडे़गें।
  उल्‍लेखनीय है कि 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आत्‍मघाती हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों में से चार जवान पंजाब के गुरदासपुर, तरनतारन, मोगा और श्री आनंदपुर साहिब के थे। इस हमले के दिन से पंजाब के लोगों में पाकिस्‍तान के खिलाफ जबरदस्‍त आक्रोश है। शहीद सैनिकों के परिजनों सहित यहां के आम नागरिक चाहे वह व्‍यापारी हो, नौकरी पेशा हो या फिर किसान हर किसी का कहना है कि बस अब बहुत हो चुका है। पानी सर के पार जा रहा है। देश के शहीद सैनिक पूछ रहे हैं कि हमारी कुर्बानी का हिसाब कब लिया जाएगा। 
  65 की जंग से 2016 की सर्जिकल स्‍ट्राइक तक खाली करते रहे हैं गांव
पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्‍का जिले के सरहद के दस किमी के दायरे में बसे सैकड़ों गांवों के लोगों का कहना है कि वे 65 की जंग से लेकर अब तक उजड़ते ही आए हैं। उनका कहना है कि जब जब भारत पाकिस्‍तान की जंग हुई तब तक हम सीमावर्ती गांवों के लोगों को विस्‍थापन का समाना करना पड़ा है। लेकिन अब यह उजाड़ा बर्दाश्‍त नहीं होता। अमृतसर जिले के गांव भिंडीसैदा निवासी 70 वर्षीय जगरूप सिंह, तरनतारन के खेमकरण सेक्‍टर के 72 वर्षीय अवतार सिंह आदि का कहना है कि देश विभाजन के दौरान भी उन्‍होंने विस्‍थापन का दंश झेला था। सोचा था चलो अब चैन से जीवन बसर करेंगे। धार्मिक उन्‍मादी जिन्‍नाह बदौलत देश के टुकड़े हुए और उन्‍मादी पा‍कास्‍तानियों ने बटावारे के बाद भी देश को अशांत किया हुआ है। मोहम्‍मद अली जिन्‍नाह को कोसते हुए उन्‍हों ने कहा कि उसकी आत्‍मा को वाहे गुरु कभी शांति नहीं देगा। जिस देश की नींव ही आतंकवाद पर रखी गई है वह भला दूसरों को कैसे चैन से रहने देगा। इसी 60 वर्षीय दिलप्रीत सिंह और नानक सिंह कहते हैं  कि चाहे वह 71 की जंग हो या कारगिल कि या फिर कारगिल की जंग हो चाहे 2016 में हुए सर्जिकल स्‍ट्राइक हर बार हम लोगों को विस्‍थापन का सामना करना पड़ता है। हालात सामान्‍य होने तक राहत शिविरों या फिर रिश्‍तेदारों के यहां शरण लेनी पड़ती है। खेती भी खराब होती है, लेकिन इस इस बार हम सभी ने ठान लिया है कि हम गांव खाली नहीं करेंगे। और भारतीय सेना का साथ देंगे, ताकि पाकिस्‍तान में पल रहा आतंक का नाम मारा जा सके और हम लोगों को बार-बार के विस्‍थापन से मुक्‍ित मिल सके। 


हर कोई लड़ रहा है 'जंग'
अमृतसर व्‍यापार मंडल के सदस्‍यों का कहना है कि हम सैनिक नहीं है तो क्‍या हुआ। देश हित में प्रधान मंत्री और सैनिकों का साथ तो दे सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत सरकार ने पाकिस्‍तान से जो एमएफएन का दर्जा छीना है हम उसका स्‍वागत करते हैं। पाकिस्‍तान से आयातित वस्‍तुओं पर 200 प्रतिशत टैक्‍स लगाए जाने की भी सराहना की। उनका कहना है कि हम देश है और देश हम से। हमें नहीं चाहिए पाकिस्‍तानी माल। पाकिस्‍तान से कारोबार कर रहे व्‍यापारियों ने नमक, सीमेंट और छुआरे भरे ट्रक आईसीपी अटारी बार्डर से लौटा दिया है। उनका कहना है जहां देश हित की बात आती है वहा सारे हित बौने लगते हैं। इसी तरह पाकिस्‍तान को टमाटर और मटर भेजने वाले वाले जंडियाला गुरु के किसान हरभजन सिंह का कहना है कि पाकिस्‍तान परस्‍त आतंक के खिलाफ इस जंग में वह भी भारत सरकार के फैसले के साथ खड़े हैं। क्‍योंकि हमारे देश में नारा है जय जवान, जय किसान। सो इसे पूरा करने समय आ गया है। उन्‍होंने कहा फैसला होने तक वह पाकिस्‍तान से किसी भी तरह कारोबार नहीं करेंगे। पाकिस्‍तान को सप्‍लाई बंद होने से नुकसान तो होगा, लेकिन वह इसे बर्दाश्‍त करने के लिए तैयार हैं। 

अटारी बार्डर पर दो सप्‍ताह से खड़े हैं ट्रक

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्‍तानी वस्‍तुओं पर लगाए गए 200 प्रतिशत टैक्‍स और भारतीय कारोबारियों द्वारा पाकिस्‍तानी माल का आर्डर रद़द करने से पाकिस्‍तान के कारोबार पर बड़ा असर पड़ा है। आईसीपी अटारी पर पाकिस्‍तान से आए ट्रकों को बिना अनलोड किए ही लौटाए जाने से सीमा के दोनो तरफ कारोबार पर असर पडा है, लेकिन यह असर पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था पर कुछ ज्‍यादा ही पडा है। पाकिस्‍तान स्थित बाधा चेक पोस्‍ट पर पाकिस्‍तानी ट्रक पिछले दस दिनों से खडे हैं। हालत यह है न तो वह अपना माल वापस पाकिस्‍तान ले जा सकते हैं और ना ही भारत ला सकते हैं। परिणाम स्‍वरूप ट्कों को पड़ा माल सड़ने लगा है। आईसीपी अटारी चेक पोस्‍ट पर भी पाकिस्‍तानी ट्रकों के न आने से संनाटा पसरा हुआ है। एक तरह से भारतीय कुली और इससे जुड़े लोग बोरोजगार हो गए हैं। 
बीएसएफ और सेना ने बढाई सगर्मियां
संभावित युद्ध के खतरों को भांते हुए सेना और सिविल प्रशासन ने सरकारी डॉक्‍टरों और पुलिस कर्मियों की छुट्टियां जहां रद कर दी है, वहीं सीमावर्ती क्षेत्रों में ब्‍लैक आउट भी किया गया। लोगों को हवाई हमलों के दौरान बचाव की जानकारी दी जा रही है। साथ ही सिविल प्रशासन भ्‍ाी तरह-तरह के इंतजाम कर रहा है। यहां तक एयरपोर्ट, रेवले स्‍टेशनों और बस स्‍टैंडों पर भी विशेष चौकसी बरती जा रही है। सीमावर्ती गांवों के लोगों को भी अलर्ट पर रखा गया है। रेल मंडल फिरोजपुर ने भी अपने कर्मचारियों और अधिकारियों का अवकाश रद कर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है।

मुख्‍यमंत्री ने किया गांवों का दौरा
मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिहं ने भी तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर और पठानकोट का दौरा कर सीमावर्ती गांवों के लोगों का हौसला बढाने के साथ ही हालत का जायजा लिया। उन्‍होंने सिविल व पुलिस प्रशान को सतर्क रहने के साथ ही गांव खाली कराए जाने की स्थिति में विस्‍थापितों के लिए उचित प्रबंध करने को कहा है। साथ ही सेना, बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों को हर संभव सहयोग की बात कही है।
लोगों में नहीं है जंग का खौफ

इन खतरों के बाद भी पंजाब के लोगों के चेहरों पर खौफ नहीं  है। यहां तक की अटारी बार्डर पर रोज शाम को होने वाली रीट्रिट सेरेमनी देखने आने वाले हजारों पर्यटों का उत्‍साह भी देखते बनता है। उनके देशभक्‍ित का ज्‍वार इस कदर उमड़ता है कि वहां तैनात बीएसएफ जवान अगर उन्‍हें न रोकें तो वे गेट तोड पाकिस्‍तान से दो दो हाथ करने सरहद पार कर जाएं। शहरों और गांवों में भी लोग जंग के संभावित खतरों से बेखौफ रोज मर्रा के कामों में व्‍यस्‍त है। हर करोई भारतीय सेना का यशगान करने और प्रधानमंत्री के फैसलों का उन्‍मुक्‍त कंठ से सराहना कर रहा है। रेल हो, बस हो या चौक'चौराहे हर तरफ बस एक ही बात सुनाई दे रही है। बस अब
 पाकिस्‍तान को सबक सीखा देना चाहिए। भारत के इस कदम से न केवल पाकिस्‍तान दहला है बल्कि उसका सहयोगी चीन भी हिल उठा है।