राजपथ पर नहीं, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुआ था गणतंत्र दिवस का पहला आयोजन



ऊपर दिख रही यह धुंधली सी तस्वीर भारत के पहले गणतंत्र दिवस की है।  जब देश के पहले राष्ट्रपति डा: राजेंद्र प्रसाद जब राष्ट्रपति भवन से सलामी लेने जा रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं गणतंत्र दिवस का पहला आयोजन कब और कहां किया गया था।  इस आयोजन में शामिल होने पहले मुख्य अतिथित कौन थे। परेड में शामिल होने के लिए वायु सेना के जहाजों ने कहां उड़ान भरी थी। आइये जानते हैं पहले गणतंत्र दिवस के बारे में जिसके बारे में अधिकांश लोग नहीं जानते। 


इर्विन स्टेडियम में हुआ था पहला आयोजन

भारत के पहले गणतंत्र दिवस का दिलचस्प पहलु यह है कि इसका शुभारंभ तो राजपथ से हुआ था, लेकिन गणतंत्र दिवस समारोह राजपथ पर नहीं बल्कि मेजर ध्यान चंद इस्टेडियम में हुआ था, जिसे उस समय इर्विन स्टेडियम के नाम से जाना जाता था। उस समय शाही बग्गी पर सवार देश के पहले राष्ट्रपित डा: राजेंद्र प्रसाद कनाट प्लेस और उसके आसपास के क्षेत्रों का चक्कर लगाते हुए शाम करीब पौने चार बजे इर्विन स्टेडियम (जो आज मेजर ध्यान चंद स्टेडियम के नाम से जाना जता है ) में सलामी लेने मंच पर पहुंचे।  देश के पहले राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ध्वज फहराकर परेड की सलामी ली। . राष्ट्रपति जैसे ही स्टेडियम आए तो उन्हें 31 तोपों की सलामी दी गई।  परेड में सशस्त्र सेना के तीनों बलों ने भाग लिया।

500 अतिथि बने से समारोह के साक्षी

इस दिन देश का पहला संविधान लागू हुआ था और आजाद भारत गणराज्य बना था।  इस खुशी में पूरा देश झूम रहा था। इस मौके पर लोग एक दूसरे की बधाई ले और दे रहे थे। इस दिन परेड नहीं निकली थी। केवल समारोह का आयोजन हुआ था। और इस समारोह के साक्षी बने थे 500 विशेष अतिथि।  राजपथ पर परेड का शुभारंभ तो 1955 हुआ था।  



सी राजगोपालचाय ने दिलाई थी देश के पहले राष्ट्रपति को शपथ

आपको मालूम हैं। 26 जनवरी 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति को सुबह के ठीक नौ बजे गवर्नर जनररल सी राजगोपलचाय ने पद और गोपनियता की शपथ दिलाई। इसके बाद देश के पहले प्रधान मंत्री पं: जवाहर लाल नेहरू और उनके मंत्री मंडल के सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति डा: राजेंद्र प्रसाद ने दिलाई। 

इससे पहले वे सुबह करीब आठ बजे महात्मा गांधी की समाधि स्थल राजघाट पहुंचे। इससे बाद  वहां से वे सीधे राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। 

इंडोनेशिया के राष्ट्रपित थे पहले मुख्य अतिथि

आप को जानकर हैरानी होगी कि भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपित सुकर्णों मौजूद थे।  इस दिन डा: राजेंद्र प्रसाद काली सेरवानी और सफेद रंग की चूड़ीदार पायजामा और गांधी टोपी पहने हुए थे। समाहरो के दौरान राष्ट्रपति भवन के बाहर और इर्विन स्टेडियम में हजारों लोगों का जनसमूद भारत के पहले गणतंत्र दिवस का साक्षी बना था।  इस दौरान वंदेमातरम नारे लग रहे थे।  इन सब आयोजनों प्रबंध बदरुद्दीन तैयवब ने संभाल रखा था।  तैयब 1936 बैच के आईसीएस अधिकारी थी। 

दिल्ली के लोगों ने पहली बार देखी थी लड़ाकू विमानों की कलाबाजियां

इदरीस हसन लतीफ भारतीय एयरफोर्स के एयरचीफ मार्शल भी रहे।   पर उनका देश के पहले गणतंत्र दिवस से एक अलग और खास संबंध रहा. दरअसल उन्हीं के नेतृत्व में उस गणतंत्र दिवस पर फ्लाई पास्ट हुआ था,  दिल्ली ने पहले कभी लड़ाकू विमानों को अपने सामने कलाबाजियां खाते नहीं देखा था।  लतीफ तब स्क्वाड्रन लीडर थे. वे और उनके साथ हॉक्स टैम्पेस्ट लड़ाकू विमान उड़ा रहे थे. तब लड़ाकू विमानों ने वायुसेना के अंबाला स्टेशन से उड़ान भरी थी।