बॉलीवुड की विवादित फिल्में, कुछ रीलिज के बाद तो कुछ रीलिज से पहले रोक दी गईं



इन दिनों फिल्म 'तांडव' काफी चर्चा में है।  डायरेक्टर अली अब्बास जफर की वेब सीरीज की इस िफल्म के चर्चा में आने का कारण हिंदू देवी देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करना बताया जा रहा है।  इस फिल्म पर सियासत भी अपने चरम पर है।  ऐसे में कई लोग इसे वैन करने की मांग कर रहे हैं तो कुछ लोग सेसर बोर्ड तरह वेब सीरीज की फिल्मों पर नजर रखने के लिए गए बोर्ड बनाने की मांग कर रहे हैं। 

 लेकिन यह पहली बार ऐसा नहीं है, जब किसी विवाद के कारण किसी फिल्म को प्रितबंिधत करने की मांग उठी हो।  हिंदी सिनेमा के इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब फिल्म को लेकर विवाद हुआ है।  यहां तक कि कोई रीलिज होने से पहले रोक दी गई तो कुछ पर रीलिज होने के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया। और तो और कुछ फिल्मों के सेट तोड़ दिए गए तो कुछ में सिनेमाहाल के बाहर लोगों ने भड़ास निकाली।  तो ख्चलि जानते हैं उन फिल्मों के बारे में जिन्हें लेकर बवाल हुआ। 

आंधी पर इंदिरा गांधी ने लगा दिया था वैन

जनवरी 1975 में रिलीज हुई इस फिल्म को उस दौर की सबसे विवदित फिल्म माना जाता है ।  कमलेश्वर की कहानी पर आधारित इस सुपर हीट फिल्म का निदेशन पसिद्ध गीतकार गुलजार ने किया था।  जबिक फिल्म की मुख्य भूमिका में थे संजीव कुमार औमपुरी और सुचित्रा सेन।  इस फिल्म को सुचित्रासेन की आखिरी हिंदी फिल्म भी कहा जाता है। 

   इस फिल्म पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पति फिरोज खान के रिश्तों पर आधारित  होने का आरोप लगा था, हलांकि इस फिल्म के रिलीज होने के एक माह बाद ही आपतकाल के छौरान सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर िदया गया था।  हलांकि, इंदिरा गांधी के चुनावों में हार जाने के बाद सत्ता में आई तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार ने इस फिल्म को प्रदर्शन की मंजूरी दे दी गई।  यही नहीं 'आंधी' को सरकारी टीवी चैनल पर दिखाया भी गया।

किस्सा कुर्सी का, जला दिया गया था मास्टर प्रिंट





यह फिल्म 'आंधी' की आंधी थमने के करीबदो साल बाद यानी 1977 में बनी थी।  अमृत नाहटा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में साबाना जाजमी, राजबब्बर, मनोहर सिंह और चमन बबग्गा जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था।  उस समय फिल्म विश्लेषकों ने इसे राजनीित पर कटाक्ष बताया था।  उस समय की मौजूदा कांगेस सरकार ने आपतकाल का हवाला देते हुए इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लाग दी थी।  यही नहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमित इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के समथकों ने सेंसर बोर्ड से जबरन इस फिल्म की मास्टर कापी लेकर जला दी थी।   बाद में इस फिल्म को दोबारा बनाया गया था। 

इंसाफ का तराजू



बीआर चोपड़ा के निर्देशन में बनी इंसाफ का तराजू फिल्म रिलीज होते ही बवाल मच गया था,।  राज बब्बर, जीनत अमान, इस्मिता पाटिल और दीपक पराशर अभिनित इस फिल्म में 13 साल की एक बच्ची का दिखाएगए रेप के सीनको लेकर लोगों ने जम कर विरोध किया था। 

आरक्षण



वर्ष 2011 में प्रकाश झा के निर्देशन में बनी फिल्म आरक्षण का भी जमकर िवरोध हुआ था।  अमिताभ बच्चन , दिपिका पादुकोण और सैफ अली खान अभिनित इस फिल्म पर उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पंजाब में बैन लगा दिया गया था।  हलांकि सुप्रिम कोर्ट के आदेश के बाद इन प्रदेशों में इस फिल्म का प्रदर्शन हो पाया था।