Azadi Ka Amrit Mahotsav: स्वाधीनता संग्राम के इतिहास का एक पैरा, खुह कौड़ियां



Azadi Ka Amrit Mahotsav:
 
दुर्गेश मिश्र, अमृतसर: कुचा कोड़ियां की यह संकरी गली और दरकती हुई दिवारें सन 1919 में भारतीयों पर अंग्रेजों द्वारा की गई क्रूरता को याद दिलाती हैं। अमृतसर के लोहगढ़ क्षेत्र में स्थित खुह कोड़ियां में कभी दुग्गल समुदाय के लोग रहा रहते थे। इसलिए इस गली को दुग्गलनल वाली गली कहा जाता था।  लेकिन दुग्गलन वाली इस गली को रुह कंपा देने वाला नया नाम तब मिला जब जनरल डायर ने जलियांवाला बाग  हत्याकांड के बाद गली दुग्गलन के रहने वाले लोगों को रेंगने और कोड़े मारने की सजा देते हुए 'क्रॉलिंग ऑर्डर' जारी कर दिया।

इस गली में रहने वाले 56 वर्षीय दविंदर कुमार कहते हैं कि  आज हम लोग आजादी का 'अमृत' पी रहे हैं तो जाहिर है, इसके साथ विष भी निकला होगा। और इसी गलर (विष) को इस गली के लोगों ने हंसते-हंसते 'शिव' की तरह पीया होगा।  दविरंदर कहते हैं, खुह कोड़िया को गली घसीटा के नाम से भी लोग जानते हैं।  गली घसीटा का इतिहास इस गली में रहने वाले हर उस व्यक्ति को पता है जो जनल डायर के क्रूरता की कहानियां सुन कर बड़े हुए हैं।

इसी तरह राकेश कुमार गली के मोहाने पर स्थित एक मंदिर की तरफ इशारा करते हुए कहतें हैं, आज जहां शिव जी का यह मंदिर स्थापित है , पहले कभी यहां कुंआ हुआ करता था। इसी कुंए के पास अंग्रेज सिपाही खड़ होते थे जो इस गली से गुजरने वाले लोगों को जमीन पर घसीट (रेंग ) कर चलने और अनगिनत कोड़े मारने की सजा देते थे।



नवजोत सिंह सिद्धू ने उठाई थी फ्रीडम स्ट्रीट की मांग

इस गली में रहने वालों ने लोगों ने बताया कि कुछ साल पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने खुह कोड़ियां का नाम फ्रीडम स्ट्रीट करने की मांग उठाई थी, लेकिन ऐसा कुछ खास नहीं हुआ, जिससे इस गली को फ्रीडम स्ट्रीट कहा जा सके, शिवाय पर्यटन विभाग द्वारा सड़क के इतिहास को समझाते हुए लगाई गई एक पट्टिका के अलावा। हलांकि इस गली में अधिकतर मकान नए बन चुके हैं और पुराने वासिंदे किसी और शहर या मोहल्ले में बस चुके हैं।  फिर भी एकआध मकान अभी मौजूद हैं जिनकी दरकती हुई दिवारों ने डायर की क्रूरता को देखा है।

खुह कोड़ियां का इतिहास

इस गली का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का एक पैरा भर है। इतिहास के प्रोफेसर रह चुके दरबारी लाल के अनुसर 10 अप्रैल, 1919 को लोहे वाले पुल के पास कुछ अंग्रेज सिपाहियों ने 10-12 भारतीयों को गोली मार दी थी।  उसी दिन शाम को गली दुग्गलां जो अब खुह कोड़ियां या घसीटा के नाम से जानी जाते हैं के मोहाने पर खड़े थे।  इसी दौरान एक ब्रिटिश मिशनरी महिला, मार्सेला शेरवुड, जो लड़कियों के लिए मिशन डे स्कूल चलाती थी, पर उस समय हमला कर दिया जब वह इस गली से साइकिल चलाते हुए जा रही थी। इस घटना के बाद, अंग्रेज प्रशासन ने इस गली से गुजरने वाले हर भारतीय राहगीर को सड़क पर रेंग कर चलने और कोड़े मारने का आदेश जारी कर दिया।  प्रो: लाल कहते हैं, आज जहां मंदिर है वहां 1980 से पहले कुंआ हुआ करता था, उसी  कुएं के पास भारतीयों को बांधकर कोड़े मारे गए।