सैम बहादुर, एक ऐसा हीरो जिसने पाकिस्तान के कर दिए थे दो टुकड़े


दुर्गेश मिश्र
इन दिनों 'सैम बहादुर मानेकशॉ' चर्चा में है।  मेघना गुलजार के निर्देश और विक्की कौशल के अभिनय से सजी यह फिल्म एक ऐसे हीरो की जिंदगी पर आधारित है जिसने एक नहीं चार-चार जंगें लड़ी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सीने में सात-सात गोलियां लगने के बाद भी जिंदा  रहा और सन 1971 में  पाकिस्तान के दो टुकड़ कर दिए। यह कोई और नहीं बल्कि भारत के फील्ड मार्शल सैम होर्मूसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ हैं। 
     
सैम बहादुर मानेकशॉ के साथ यदि इन दिनों कोई चर्चा में है तो वह है अमृतसर।  क्योंकि इसी अमृतर की गलियों में सैम बहादुर मानेकशॉ का बचपन बीता है।  भारत और भारतीय सेना के असल हीरो की यादें आज भी गुरु नगरी के कटरा आहलूवालिया से जुड़ी हैं। कटरा आहलूवालिया जिसे स्थानीय लोग आलूवाला कटरा के नाम से जानते हैं। इसी आलूवाले कटरा में सैम बहादुर के पिता होर्मिज़्ड मानेकशॉ का क्लीनिक होता था और इसी क्लीनिक  में कभी-कभी अपने पिता और भाई के साथ आया करते थे। 
      
कटरा आहलूवालिया में यह क्लीनिक आज भी जहां सैम बहादुर और उनसे जुड़ी यादें सहेज कर रखी गई हैं। अमृतसर का प्रमुख व्यापारिक केंद्र कटरवा आहलूवालिया के लोग खुद को सैम बहादुर मानिकशॉ से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। यहां के स्थानिक लोग गर्व से कहते हैं कि हां जी हम उसी कटरे के रहने वाले हैं जहां सैम बहादुर मानेकशॉ रहते थे। 

'सैम बहादुर मानेकशॉ' एक दिसंबर को सिनेमा घरों में और मनोरंजन के तमाफ प्लेटफार्मों पर आने वाली है।  वैसे भी इस फिल्म का ट्रेलर लांच हो चुका है, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है । इस बीच सोशल मीडिया पर सैम बहादुर मानेकशॉ के बारे में सबसे ज्यादा सर्च किया जा रहा है।  इसके साथ ही अमृतसर के उन चार स्थानों को भी सर्च किया जा रहा है जिससे सैम बहादुर का बचपन जुड़ा हुआ है।  

जैसा कि अभिलेखों से मिली जानकारी के अनुसार सैम मानेकशॉ के माता-पिता पारसी थे और मूल रूप से गुजरात के तटीय क्षेत्र वलसाड के रहने वाले थे। वेलसाड छोड़ कर लाहौर में बसने के इरादे से अपने दोस्त के पास परिवार सहित जा रहे थे। तभी उनकी पत्नी को स्वास्थ्य खराब हो गया है।  उस समय वह गर्भवती पत्नी के लिए मदद मागंने अमृतसर रेलवे स्टेशन उतरे थे, जिन्हें इस्टेशन मास्टर ने आगे की यात्रा न करने की सलाह देते हुए उन्हें अमृतसर में ही रहने को कहा।  मानेकशॉ के पिता होर्मिज़्ड मानेकशॉ को अमृतसर की आब-ओ-हवा इस कदर भा गई कि वह लाहौर जाने का इरादा त्याग कर अमृतसर सब गए। चूंकि होर्मिज़्ड मानेकशॉ पेशे से डाक्टर थे और उन्होंने अमृतसर के कटरा आलूवाला में अपनी डिस्पेंसरी खोली।  


माल रोड पर था मानेकशॉ का घर

सैम बहादुर मानेकशॉ के बारे में बारे कुछ जानकारी साझां करते हुए वरिष्ठ पत्रकार शम्मी सरीन करते हैं कि सैम बहादुर मानेकशॉ के पिता की डिस्पेंसरी भले ही कटरा अहलुवालिया जो कटरा आलूवाला के नाम से जाना जाता है में थी लेकिन उनका आवास माल रोड पर हुआ करता था। शम्मी सरीन कहते हैं कि सैम के पिता जब अमृतसर को अपना आशियाना बनाया तब बर्तानवी हुकूमत थी।  उस समय माल रोड पर एरिया में अंग्रेज अधिकारी रहा करते थे। यानि कुल मिला कर यह एरिया पॉश इलाका हुआ करता था और इसी क्षेत्र में सैम बहादुर मानेकशॉ का घर होता था।  लेकिन, अब वह पुश्तैनी मकान नहीं है। हां, कटरा आलूवाला में वह डिस्पेंसरी आज भी मौजूद है जहां उनके पिता बैठा करते थे। 


हिंदू सभा कालेज से किया था ग्रेजुएशन

सैम मानेकशा का प्रारंभिक और स्नातक तक की शिक्षा अमृतसर में ही हुई थी। शहर के ढाव खटिंका स्थित हिंदू सभा कॉलेज के प्रिंसिपल डा: संजीव शर्मा कहते हैं कि सैम उनके ही कालेज के स्टूडेंट थे। सैम मानेकशॉ पर आ रही फिल्म को लेकर वह काफी उत्साहित भी हैं। 
  
 प्रिंसिपल डा: संजीव शर्मा कहते हैं कि उनरके कॉलेज हिंदू सभा में भले ही इस समय कोई लिखित दस्तावेज नहीं हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है फील्ड मार्शल सैम बहादुर उनके कालेज के छात्र रहे हैं। डा: शर्मा कहते हैं कि यह हमारे और हमारे कॉलेज के लिए गर्व की बात है। वे कहते हैं कि शआदत हसन मंटो, पूर्व प्रधान मंत्री डा: मनमोहन सिंह, क्रिकेटर विशन सिंह बेदी और मदन लाल भी इसकी कॉलेज के छात्र रहे हैं।  यह पूछे जाने पर कि क्या मानेकशॉ की हायर सेकेंडरी स्कूल की पढ़ाई भी हिंदू सभा में हुई थी।  इस पर वे कहते हैं कि हिंदू सभा सीसे: स्कूल तो काफी बाद में बना है। संभवत सैम बहादुर की स्कूली शिक्षा स्लामिया मिडल स्कूल में हुई हो  जिसमें में आज डीएवी कॉलेज है। क्यों कि पार्टिशन से पहले यहां स्लामिया स्कूल हुआ करता था। 


आज शूर एंड कंपनी के नाम से चल रही सैम मानेकशॉ के पिता की डिस्पेंसरी

फील्ड मार्शल सैम बहादुर मानेकशॉ के पिता होर्मिज़्ड मानेकशॉ   की 1880 में स्थापित डिस्पेंसरी आज भी उसी इमारत में शूर एंड कंपनी के नाम से चल रही है।  कटरा आलूवाला में चल रही इस डिस्पेंसरी के मालिक मरवाहा कहते हैं कि सैम मानेकशॉ के पिता होर्मिज़्ड मानेकशॉ  1945 में जब यहां से जाने लेगे यह डिस्पेंसरी उनके दादा देवराज मरवाहा को सौंप गए। देवराज मरवाहा होर्मिज़्ड मानेकशॉ के सहायक के तौर पर इस डेस्पेंसरी में काम करते थे। 
  
 नवीन मरवाहा एक कुर्सी को दिखाते हुए कहते हैं कि यह कुर्सी सैम बहादुर मानेकशॉ के पिता होर्मिज़्ड मानेकशॉ  की कुर्सी है। वे इसी पर बैठक कर मरीजों की मर्ज ठीक किया करते थे।  इस कुर्सी को हम लोगों ने मानेकशॉ की अमानत के तौर पर संभाल कर रखा है। यहां तक कि इस मारत में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।  दीवार पर टंगे एक फ्रेम सजी कई ब्लैक एंड व्हाईट तस्वीरों की तरफ इशारा करते हुए नवीन कहते हैं कि यह सभी तस्वीरें सैम बहादुर कि हैं।  वे कहते हैं कि ये सभी तस्वीरें तब कि हैं जब जब फील्ड मार्शल बनने के बाद सैम बहादुर यहां पर (शूर एंड कंपनी) अपने पिता की डिस्पेंसरी में आए थे। यह करीब 50 बरस पुरानी बात है। 
 
नवीन कहते हैं कि उस समय हमलोग छोटे होते थे। उस समय हमारे पिता जी जगन्नाथ मरवाहा हुआ करते थे। इस तस्वीर में मानेकशॉ के अलावा उनके परिवार के लोग भी है।  उस समय मानेकशॉ ने हमारे परिवार के सभी लोगों से मिले थे। वे कहते हैं कि उनके पास वह चिट्ठियां भी मौजूद है जो यहां जाने के बाद सैम बहादुर के पिता होर्मिज़्ड मानेकशॉ हमारे दादा देवराज को लिखा करते थे। नवीन कहते हैं कि मानेकशॅ की बेटियां भी जब भी भारत आती हैं यहां अपने दादा की डिस्पेंसरी देखने जरूरी आती हैं। वे कहते हैं कि मानेकशॉ पर रीलिज होने वाली फिल्म को लेकर वह काफी उत्साहित हैं।   


50 साल पहले कटरा आलूवाला आए  थे मानेकशॉ 

कटरा आलूवाला में प्रसिद्ध जलेबी वाले चौक पर स्थित पं: दीना नाथ गुरदास राम जलेबियां वाले के संचालक शोम नाथ शर्मा कहते हैं  कि हमें बहुत खुशी हो रही है देश के असल हीरो सैम बहादुर मानेकशॉ पर फिल्म आ रही है।  सोम नाथ कहते हैं मैं मानेकशॉ से मिला हूं। तब हमारी उम्र करीब 10-15 साल रही होगी जब वह शूर एंड कंपनी के जगन्नथ मरवाहा के यहां अपने परिवार के साथ आए थे। यह करीब 50-55 साल पुरानी बात है।  अब शूर एंड कंपनी में नवीन कुमार बैठते हैं।  वह हमारे ही मोहल्ले में रहते हैं। सोम नाथ कहते हैं कि आज जहां पर नवीन कुमार बैठते हैं वहां कभी शैम मानेकशॉ के पिता की डिस्पेंसरी हुआ करती थी।  वे कहते हैं हमारे दादाजी बताते थे कि सैम मानेकशॉ, उनके भाइयों और बहनों का बचपन भी इसी कटरा आलूवाला में बीता है।  शोम नाथ शर्मा कहते है आज हमलोग गर्व महसूस कर रहे हैं देश के असली हीरो सैम बहादुर मानेकशॉ पर फिल्म आ रही है जिन्होंने 1971 मे पाकिस्तान को धूल चटाया था।