Basant Panchami बसंत में ही कामदेव ने भंग की थी भगवान शिव की तपस्या

बंसतपंचमी Basant Panchami का सनात संस्कृति में अपना ही महत्व है। इस दिन ज्ञान, गीत और संगीत की देवी मात सरस्वती की पूज का विधान है। लेकिन सायद ही किसी को पता हो कि आज के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा का विधान है। 

 मान्यता है कि बसंत ऋतु के सहयोग से ही कमदेव ने भगवान शिव का ध्यान भंग किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के हवन कुंड में कूदकर खुद को समाप्त कर  लिया था तो महादेव बहुत दुखी हुए थे।  इस वियोग में महादेव शिव ध्यान में बैठ गए। उधर शिव के पुत्र के हाथों वध के वरदान से तारकासुर उन्मुक्त हो गया था। क्योंकि वह जानता था कि शिव सती के वियोग में ध्यान में चले गए हैं। और उनका ध्यान संभग करना संभव नहीं है।  

ऐसे में उसने तारका सुर देवताओं को भी परेशान करना शुरू कर दिया। इससे दुखी होकर देवगण भगवान विष्णु के पास पहुंचे। विष्णु ने देवताओं को सुझाव दिया कि वे महादेव का तप किसी तरह भंग करवाएं और इसके लिए कामदेव और उनकी पत्नी रति की सहायता लें।

 देवताओं के अनुरोध पर कामदेव ने बंसत ऋतु को उत्पन्न किया।  कहा जाता है कि इस ऋतु में ठंडी व सुहावनी हवाएं चलती हैं।  पेड़ों में नए कपोलें आती हैं।  सरसों के खेत में पीले फूल दिखने लगते हैं। पूरी धरती धानी रंग की चुनर उठे दुल्हन सी लगती है।  आम के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं, बागों में कोयल कूकने लगती है। बसंत Basant ऋतु के मौसम में कामदेव ने शिव जी के हृदय पर काम पुष्प के बाणों की वर्षा की, इससे शिवजी का ध्यान टूट गया।  ध्यान टूटते ही देवाधिदे को क्रोध आ गया और उनका तीसरे नेत्र खुल गया, जिससे कामदेव भष्म हो गए।   कहा जाता है कि कुछ समय बाद जब शिव का क्रोध शांत हुआ तब देवताओं ने उन्हें शिव का ध्यान भंग करने का कारण बतया।  इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने महादेव से प्रार्थना की कि वह किसी तरह वे कामदेव को जीवित करें।

तब शिवजी ने रति को वरदान दिया कि द्वापर युग में कामदेव श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेंगे। इसके कुछ समय बाद पार्वती की तपस्या से शिव प्रसन्न हुए और उनका विवाह माता पार्वती के साथ हो गया। शिव जी और माता पार्वती के पुत्र के रूप में कार्तिकेय ने जन्म लिया और इन्हीं  कार्तिकेय ने ही तारकासुर का वध किया। 

 कामदेव कहां-कहां रहते हैं

 अब आइए जानते हैं रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मदन, पुष्पवान आदि कई नामों से जाने जने वाले कामदेव कहां, कहा रहते हैं।  मुद्गल पुराण के अनुसार कामदेव का वास स्त्री की आंखों, फूलों, प्राकृतिक सुंदरता, मनोम स्थलों, झरनों, बागों, मीठी बोली, आभूषण, नए वस्त्र और छुपे हुए अंगों में होती है।